भारत सरकार, विशेषकर बिहार जैसे राज्यों में, ने संपत्ति पंजीकरण प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो 2025 में प्रभावी हो गए हैं। इन परिवर्तनों का मुख्य उद्देश्य प्रक्रिया को डिजिटल, पारदर्शी और धोखाधड़ी से मुक्त बनाना है। 117 साल पुराने पंजीकरण अधिनियम, 1908 को बदलने के लिए लाया गया नया पंजीकरण विधेयक, 2025 कई नए प्रावधान लेकर आया है। इन नए नियमों के तहत, कुछ दस्तावेज़ अब अनिवार्य कर दिए गए हैं, जिनके बिना आपकी ज़मीन की रजिस्ट्री रद्द या अस्वीकार की जा सकती है।
नए नियमों की मुख्य बातें और अनिवार्य दस्तावेज़
संपत्ति खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए इन नए नियमों को समझना बेहद ज़रूरी है। यहाँ उन प्रमुख दस्तावेज़ों और प्रक्रियाओं की सूची दी गई है जो अब अनिवार्य हैं:
1. आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन (Aadhaar-based Biometric Verification)
यह सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव है। अब, खरीदार, विक्रेता और गवाहों सभी के लिए आधार बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य है।
क्यों अनिवार्य है: यह सुनिश्चित करता है कि लेनदेन में शामिल व्यक्ति वास्तविक हैं, जिससे पहचान की चोरी और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
बिना इसके रजिस्ट्री होगी रद्द: यदि कोई व्यक्ति बायोमेट्रिक सत्यापन पूरा नहीं करता है या उसका आधार विवरण राष्ट्रीय डेटाबेस से मेल नहीं खाता है, तो रजिस्ट्री प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी।
2. अनिवार्य पैन कार्ड (Mandatory PAN Card)
जमीन रजिस्ट्री के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता पहले से थी, लेकिन अब यह और भी सख्ती से लागू किया गया है। बड़े वित्तीय लेनदेन (जैसा कि आयकर विभाग द्वारा निर्धारित है) के लिए पैन कार्ड आवश्यक है।
3. डिजिटल या ई-प्रमाण पत्र और ऑनलाइन दस्तावेज़ (Digital/E-certificates and Online Documents)
नई प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल है। दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से प्रस्तुत करना और पंजीकृत करना होगा।
अनिवार्य दस्तावेज़: अब एग्रीमेंट टू सेल (Agreement to Sell), पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney), सेल सर्टिफिकेट और इक्विटेबल मॉर्गेज डीड जैसे दस्तावेजों का पंजीकरण भी अनिवार्य कर दिया गया है, जो पहले वैकल्पिक हो सकते थे।
बिना इसके रजिस्ट्री होगी रद्द: दस्तावेज़ों के डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता दी गई है। कागजी दस्तावेज़ों के साथ-साथ, उनका डिजिटल अपलोड और ई-प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है।
4. टाइटल डीड और एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Title Deed and Encumbrance Certificate)
संपत्ति का स्पष्ट और वैध टाइटल सुनिश्चित करने के लिए, टाइटल डीड (स्वामित्व विलेख) और एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (भार/देनदारी प्रमाण पत्र) महत्वपूर्ण हैं। ये दस्तावेज़ साबित करते हैं कि संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद या बकाया ऋण नहीं है।
5. ऑनलाइन भुगतान रसीदें (Online Payment Receipts)
अब स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान पूरी तरह से ऑनलाइन करना होगा। नकद भुगतान की अनुमति नहीं है। भुगतान की डिजिटल रसीदें आवश्यक दस्तावेज़ों का हिस्सा होंगी।
6. दाखिल-खारिज (Mutation) प्रक्रिया
नए नियमों के तहत, केवल रजिस्ट्री से ही स्वामित्व पूरा नहीं माना जाएगा। स्वामित्व प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) की प्रक्रिया भी अनिवार्य रूप से पूरी करनी होगी और इसका रिकॉर्ड भी डिजिटल किया जा रहा है।
रजिस्ट्री रद्द होने के प्रमुख कारण
इन नए नियमों के लागू होने से रजिस्ट्री निम्न कारणों से रद्द हो सकती है:
आधार बायोमेट्रिक मिसमैच: यदि बायोमेट्रिक सत्यापन विफल हो जाता है।
अनिवार्य दस्तावेज़ों की कमी: ऊपर बताए गए अनिवार्य दस्तावेज़ों (जैसे पैन, टाइटल डीड) के बिना आवेदन करने पर।
फर्जी या विवादित दस्तावेज़: यदि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ जाली या संपत्ति विवादित पाई जाती है (निरीक्षण के दौरान)।
संक्षेप में, नए नियम पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। सभी आवश्यक डिजिटल और पहचान-संबंधी दस्तावेज़ों को तैयार रखना और प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से पूरा करना अब हर ज़मीन खरीदार और विक्रेता के लिए अनिवार्य है।
